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Artificial Intelligence (AI) and Astrology (Jyotish)

Artificial Intelligence (AI) and Astrology (Jyotish)

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के युग में ज्योतिष: क्या टेक्नोलॉजी एक ज्योतिषी की जगह ले सकती है?

21वीं सदी में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) हर क्षेत्र में क्रांति ला रहा है—चाहे मेडिकल हो, फाइनेंस हो या एजुकेशन। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है:
क्या AI ज्योतिष को भी पूरी तरह से बदल देगा? क्या भविष्य में मनुष्य को किसी ज्योतिषी (Jyotishi) की ज़रूरत ही नहीं रहेगी?”

यह प्रश्न गहरा है क्योंकि ज्योतिष केवल गणना (mathematics of planets) नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन (philosophy of life) है। AI तेज़ और सटीक गणना कर सकता है, लेकिन क्या वह इंसानी चेतना, अंतर्ज्ञान और शास्त्र की गहराई को समझ सकता है? आइए इस पर विस्तार से बात करते हैं।

कंप्यूटर और AI ज्योतिष में क्या कर सकते हैं?

  1. गणना में दक्षता:
    पहले जहाँ पंचांग देखकर और हाथ से ग्रहों की डिग्रियाँ निकालने में घंटों लगते थे, अब सॉफ़्टवेयर सेकंडों में यह कर देता है।
  2. कुंडली निर्माण:
    जन्म कुंडली, नवांश, दशमांश और असंख्य वर्ग कुंडलियाँ (divisional charts – vargas) तुरंत उपलब्ध हो जाती हैं।
  3. स्वचालित रिपोर्ट्स:
    ऐप्स और वेबसाइट्स पहले से लिखे हुए पैटर्न्स के आधार पर भविष्यवाणी कर देती हैं—जैसे “शुक्र सप्तम भाव में है तो विवाह सुखी होगा” – जबकि ऐसा हमेशा हो – ऐसा ज़रूरी नहीं होता।
  4. डेटा एनालिसिस और प्रेडिक्शन:
    AI अब बिग डेटा (Big Data) से सीखकर पैटर्न्स पहचानने लगा है—जैसे किन दशाओं में अधिकतर लोगों की शादी होती है या करियर में बदलाव आता है।

इन सबने ज्योतिष की गणनात्मक (computational) कठिनाई को बहुत आसान कर दिया है। लेकिन सवाल वही है—क्या केवल गणना से जीवन का रहस्य खुल सकता है?

 

शास्त्र और अंतर्ज्ञान की भूमिका

ज्योतिष शास्त्र हमें केवल नियम नहीं देता, बल्कि जीवन के छिपे संकेत समझने का दृष्टिकोण देता है। बृहत् पाराशर होरा शास्त्र, जातक पारिजात, फलकथामृत जैसे ग्रंथ केवल गणितीय सूत्र नहीं हैं—ये जीवन को समझने की चाबी हैं।

  1. मानवीय संदर्भ (Context):
    दो लोगों की कुंडली एक जैसी हो सकती है, लेकिन उनके कर्म, परिवार और जीवन-निर्णय अलग-अलग होंगे। यहाँ मशीन असफल हो जाती है, लेकिन एक अनुभवी ज्योतिषी अंतर समझ लेता है।
  2. अंतर्ज्ञान (Intuition):
    शास्त्र में कहा गया है कि ग्रह “संकेत” देते हैं। उन्हें समझने के लिए केवल सूत्र याद करना पर्याप्त नहीं, बल्कि ध्यान, अभ्यास और अंतर्ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह वह कला है जो केवल वर्षों की साधना से आती है।
  3. आध्यात्मिक दृष्टि (Spiritual Vision):
    ज्योतिष केवल भविष्यवाणी नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन (self-reflection) का माध्यम है। शनि की साढ़ेसाती केवल कठिनाई का संकेत नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि का अवसर भी है। यह दृष्टिकोण केवल मानव-चेतना से ही संभव है।

 

AI बनाम ज्योतिषी: मुख्य अंतर

  • AI क्या कर सकता है:
    • पैटर्न्स पहचानना
    • डाटा कम्पाइल करना
    • तेज़ और सटीक गणना करना
  • ज्योतिषी क्या कर सकता है:
    • ग्रहों के संकेत को जीवन की परिस्थिति में जोड़ना
    • व्यक्ति के मनोविज्ञान, भावनाओं और कर्म के साथ कुंडली को समझना
    • उपाय, साधना और मार्गदर्शन देना जो जीवन बदल सके

उदाहरण:
AI कहेगा — शनि दशम भाव में है, इसलिए करियर में विलंब होगा।”
ज्योतिषी कहेगा — यह विलंब तुम्हें धैर्य सिखाने आया है। जब तक तुम अनुशासन और समर्पण नहीं सीखोगे, सफलता नहीं मिलेगी। उपाय करो—शनि मंत्र जपो, सेवा करो, और कर्म में स्थिरता लाओ।”

यहीं पर असली फर्क है।

 

वेदांत और ज्योतिष: एक गहरा संबंध

Advaita Vedanta कहता है—
अहं ब्रह्मास्मि” (मैं ही ब्रह्म हूँ)।

इस दृष्टिकोण से देखें तो ग्रह केवल बाहरी पिंड नहीं हैं, बल्कि आत्मा के अनुभवों के दर्पण हैं। AI केवल बाहरी गणना कर सकता है, लेकिन आत्मा की यात्रा का बोध केवल एक जीवित चेतना (ज्योतिषी) ही कर सकता है।

  • AI कोड पढ़ता है,
  • ज्योतिषी कर्मफल का रहस्य पढ़ता है।

 

क्या तकनीक और ज्योतिष साथ चल सकते हैं?

हाँ, बिल्कुल। प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि सहयोगी बन सकते हैं।

  • AI ज्योतिषी का सहायक बने: गणना और कुंडली निर्माण तेज़ी से करे।
  • ज्योतिषी व्याख्या और मार्गदर्शन पर ध्यान दे: जिससे व्यक्ति को केवल जानकारी नहीं, बल्कि दिशा भी मिले।
  • ज्ञान का प्रसार: तकनीक से ज्योतिष का ज्ञान अधिक लोगों तक पहुँच सकता है, लेकिन उसकी आत्मा केवल परंपरागत ज्ञान और साधना से ही जीवित रहेगी।

 

टेक्नोलॉजी बदलती रहेगी। आज AI है, कल क्वांटम कंप्यूटिंग होगी, लेकिन मानव चेतना का स्पर्श किसी मशीन से नहीं बदला जा सकता।

ज्योतिष का असली उद्देश्य है—

  • आत्मा को उसके कर्म और जीवन के उद्देश्य से परिचित कराना,
  • जीवन के उतार-चढ़ाव को आध्यात्मिक दृष्टि से समझाना,
  • और व्यक्ति को केवल “भविष्य बताना” नहीं, बल्कि “वर्तमान जीना” सिखाना।

इसलिए, AI ज्योतिषी की जगह नहीं ले सकता। हाँ, उसे और अधिक समर्थ और प्रभावी ज़रूर बना सकता है।

भविष्य का रास्ता यही है:
“AI + Jyotishi” का मिलन—जहाँ गणना मशीन करेगी और जीवन की दिशा मानव चेतना तय करेगी।

अमन दीप सैनी

 

अद्वैत वेदान्त के दृष्टिकोण से ज्योतिष को समझने के लिए पढ़ें मेरी लिखी पुस्तक – “Vedic Astrology through the Lens of Advaita Vedanta”

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